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नितिन यदुंवशीः शुक्रिया सर बधाई के लिए। जहां तक विषय की गहराई को मैनें समझा, जांचा, परखा ( लाइफ साईंस का स्टुडेंट रहा हूं ) …तो मैं इसे इस तरह के चश्मों से देखने के लिए परहेज करूंगा। क्योंकि आज के दौर में सामाजिक संदर्भ को लेकर अगर मैं बात करूं तो मैं नहीं मानता कि अश्लीलता जैसा भी कोई शब्द है। और यकीन मानिए पंवार सर जब तक कथित शर्म नाम का जो पहलू यहां पर मौजूद है वो शायद इस विज्ञान की दुनिया को नकारता है, वो परम्पराओं की बात कहता है, रूढियों की बात कहता है, भ्रमों की भाषा बोलता है। तो इस रूप में अगर अपनी भाषा को मैं देखूं तो कहूंगा कि ये कोई अश्लील नहीं है, आज के लोंगों का इन शब्दों से वास्ता पड़ जाना चाहिए।
नितिन यदुवंशीः हा हा हा… ( हंसते हुए ) देखिए सर… ऐसा कोई शब्द कहीं पर भी है, मैं नहीं मानता। हालांकि शब्दकोश कहता होगा कि नैतिक और सामाजिक आदर्शों से जो परे हो, वो अश्लील है… जिसमें शील न हो, फूहड़ हो या अमर्यादित हो वो अश्लील है… लेकिन आधुनिक दौर में जब मनुष्य चांद पर जा रहा, मानव बनने की प्रकिया के शुरूआत यानि जब अंडाणु और शुक्राणुओं का मिलन होता है वहां से लेकर जब तक वो बन कर पूरा नहीं हो जाता, उसके पल पल के घटनाक्रम का पता चल रहा है तो ऐसे दौर में विषयों की बात करना, विषयों से जुड़े विज्ञान की बात करना, एच.आई.वी, यौन शोषण जैसे विषयों पर खुलकर बात करना ये सब कोई बुरा नहीं है, क्योंकि यहां से बचकर निकलना कहीं न कहीं रूढता है, खोखलापन है उसमें, क्योंकि जिन विषयों पर बात कहते हम डरते हैं उसे मात्र एक कुंठा या पागलपन कहूंगा मैं, क्योंकि भारत जैसे देश में जहां से कामशास्त्र का उदय होता है जहां की वादियों में अजंता-एलोरा जैसी गुफाएं हैं, जहां पूजनीय. देवताओं की कहानियां भी संभोग-वासना की बातें करती है, जहां का अतीत ब्रह्मा द्वारा अपनी बेटी सरस्वती के साथ संभोग के बाद सृष्टि की उत्पति की बात कहता है वहां के आंचल में ऐसी बात करना गवारा नहीं होगी। अगर कहीं हम इसे छुपा रहे हैं तो हम सत्यता से भाग रहे हैं, यथार्थता से भाग रहे हैं।
नितिन यदुवंशीः देखिए उपन्यास के बारे में जहां तक बात करूं तो ये एक बाल यौन शोषित एक बच्चे की कहानी है जिसके उपरांत वो बाद की दुनिया को कैसे देखता है। उद्देश्य यही था सर कि समाज के पास इस संबंध में खुलकर संदेश जाए, साहित्यिक रूप में संदेश जाए, तथ्यों घटनाओं, आंकड़ों और सुंदर शैली के साथ संदेश जाए, बाकि तो पाठकों से मैं एबसल्यूट लव लेटर पढ लेने की अपील करूंगा ताकि वो गहरे से इसमें छुपे संदेश को हासिल कर सके।
जागृति की दास्तां कहता ‘एबसल्यूट लव लेटर’
हाल में अपने उपन्यास को लेकर चर्चा में आए लेखक नितिन यदुवंशी से मिलना हुआ। 2015 का ‘आज की दिल्ली अचिवमेंट अवार्ड‘ पा चुका उनका उपन्यास एक ओर जहां मुहब्बत की कहानी बयां करता है, कल्पना, रोमांस, दोस्ती, दर्द की बात कहता है तो वहीं साथ-साथ एक नए खाखे में बाल यौन शोषण विषय को संजीदगी इस पर जागरूकता दिखाने का भी प्रयास करता है। नो माइंड प्रकाशन के मुख्य संपादक एस.एस.पंवार से हुई उनकी बातचीत के अंश
एस.एस.पंवारः देखिए नितिन जी हाल ही में आपका उपन्यास आया है एबसल्यूट लव लेटर, जो काफी चर्चाएं बटोर रहा है, पहले तो इस बात की बधाई दूंगा। वहीं दूसरी बात आज का पाठक वर्ग एक ओर जहां इसे अश्लील दृष्टि से देख रहे हैं, जबकि एक तबका इसे उचित प्रयास मानता है, क्या कहोगे?

एस.एस.पंवारः नितिन जी, अश्लीलता का यहां आपने जिक्र किया क्या मानते हो इसके शाब्दिक अर्थ को लेकर जब विज्ञान की बात जब हो रही हो, रूढियों को नकारने की बात जब हो रही हो…

एस.एस.पंवारः जी बिलकुल, आपने ने जो ये उपन्यास लिखा, क्या उद्देश्य था कैसी शिक्षा आप समाज को देना चाहोगे, क्या संदेश देना चाहोगे?

विख्यात फिल्मकार व लेखक नितिन यदुवंशी को दिल्ली में सम्मानित किया गया। मेरठ के भवानीपुरम के रहने वाले नितिन यदुवंशी के नॉवल ” एब्सल्यूट लवलैटर ” के बेहतरीन लेखन को आधार मानते हुए आज की दिल्ली मैग्जीन के मैनेजिंग डायरेक्टर योगराज शर्मा ने उन्हें आज की दिल्ली अचिवमेंट अवार्डस 2015 से सम्मानित किया। बाल यौवन शोषण विषय को गंभीरता से व सजीव तरीके से उठाने और जागरुकता फैलाने के उनके इस प्रयास को नावल का आधार बनाया गया है। इस गंभीर विषय पर उनकी लेखनशैली व समाज व प्रशासन के रवैये को भी इस नावल में खास तरीके से उठाया गया है।
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